TraveTv.News के इस कड़ी में निम्न्लिखित मुख्य ख़बरे हैं
- ट्रैवेल टीवी पर आज हम आपको लेकर चलेंगे बिहार के गया ज़िले में स्थित एक ऐसे डेस्टिनेशन की ओर, जहाँ प्रकृति, इतिहास, अध्यात्म और रोमांच – सब एक साथ जीवंत हो उठते हैं। ये जगह है – गुरुपा हिल्स, जिसे गुरुपद गिरि के नाम से भी जाना जाता है। एक unexplored destination।
- बिहार और झारखंड की सीमा पर बसा ये डेस्टिनेशन, हिन्दू और बौद्ध – दोनों आस्थाओं का केंद्र है।
- गुरुपा पर्वत की चोटी पर स्थित है गुरुपद मंदिर, जहाँ भगवान विष्णु के चरण चिन्हों की मान्यता है। चारों ओर हरियाली, पक्षियों की मधुर ध्वनि, और प्राकृतिक जलधाराएं इस जगह को वाकई मिस्टिकल बना देती हैं।
- गुरुपा पर्वत को चढ़ने का अनुभव किसी रोमांच से कम नहीं है ….गांव से जब आप रेलवे लाइन पार कर चढ़ाई शुरू करते हैं, तो एक संकरी दरार आपको सीधे पहाड़ी के अन्दर ले जाती है। यात्रा थोड़ी चुनौतीपूर्ण ज़रूर है – लगभग 1680 सीढ़ियां, पथरीली चढ़ाई और संकरी दरारें – लेकिन हर कदम के बाद प्रकृति कुछ नया दिखाती है।
- चोटी पर पहुंचकर दिखता है ग्रामीण इलाकों का नज़ारा – हवा में शांति, आंखों में दृश्य और मन में आत्मिक संतुलन। यही कारण है कि ये जगह मेडिटेशन और डिजिटल डिटॉक्स के लिए आदर्श बनती जा रही है। अगर आप प्रकृति से जुड़ने और खुद से मिलने की इच्छा रखते हैं, तो गुरुपा हिल्स से बेहतर जगह मुश्किल है।
- इस ट्रेक के अलावा आप मझार कुंद, भिम्बांध, और नागार्जुन गुफाओं जैसे आस-पास के स्थलों को भी एक्सप्लोर कर सकते हैं।
- यहां कम से कम 2 से 3 दिन का समय ज़रूर निकालें। पहला दिन ट्रेकिंग, गुफाओं की खोज और मंदिर दर्शन के लिए रखें। दूसरा दिन ध्यान, फोटोग्राफी और आसपास के गांवों की जीवनशैली को महसूस करने के लिए बिल्कुल उपयुक्त रहेगा। और एक दिन आस पास के डेस्टिनेशन देखने के लिए।
- भोजन के मामले में, गया और गुरपा क्षेत्र आपको निराश नहीं करेगा। लिट्टी-चोखा, ठेकुआ, और सत्तू से बनी व्यंजन, न सिर्फ पेट भरते हैं, बल्कि स्वाद की एक खास स्मृति भी छोड़ जाते हैं। देसी ढाबों पर बना भोजन, यहाँ की मिट्टी की खुशबू के साथ परोसा जाता है।
- आस आस के गाँव में होम स्गटे तो हैं , लेकिन गया में स्टे करना बेहतर रहेगा ……गया में ठहरने के लिए कई शानदार विकल्प मौजूद हैं – संबोधि रिट्रीट, हयात प्लेस, होटल बोधगया इन जैसी प्रमुख ब्रांड्स यहां मौजूद हैं, जहां आप इस यात्रा के दौरान आराम से ठहर सकते हैं।
- हर मौसम में गुरुपा हिल्स का रंग बदलता है – वसंत में फूलों की चादर, शरद में ठंडी बयार और सर्दियों में एकदम शांत वातावरण। यह हर बार नए रूप में आपका स्वागत करता है। बस गर्मियों के मौसम में यहाँ आना अनुकूल नहीं रहेगा।
- तो अगली बार जब आप बिहार आएं, सिर्फ बोधगया तक सीमित न रहें… गुरुपा हिल्स तक जरूर पहुंचें – क्योंकि यह एक ऐसी जगह है, जो केवल देखी नहीं, जी जाती है।