Mon Nagaland – The Village – Where Two Countries Meet (July 5, 2025)

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TraveTv.News के इस कड़ी में निम्न्लिखित मुख्य ख़बरे हैं

  • नागालैंड के सबसे उत्तरी छोर पर बसा मोन गांव एक ऐसी अनोखी जगह है, जहां आपको न केवल संस्कृति की गहराई देखने को मिलेगी, बल्कि ऐसा अहसास होगा जैसे आपने समय की परतों को छू लिया हो। इस जगह की सबसे खास बात है यहां की कोंयाक जनजाति – वो ही कोंयाक जिन्हें कभी “हेडहंटर” कहा जाता था। उनके चेहरों पर बने टैटू और कानों की बड़ी-बड़ी रिंग्स उनके योद्धा इतिहास की निशानी हैं। आज भले ही यह परंपरा खत्म हो चुकी हो, लेकिन उनकी सांस्कृतिक विरासत आज भी जीवित है और गर्व से संरक्षित की जाती है।
  • मोन जिले का सबसे चर्चित गांव है लॉन्गवा। यह गांव इतना खास है कि इसका आधा हिस्सा भारत में है और आधा म्यांमार में। गांव के मुखिया अंग का घर भी दो देशों में बंटा हुआ है – एक हिस्सा भारत में और दूसरा म्यांमार में। खास बात ये है कि यहां के लोग दोनों देशों में बिना वीजा के घूमते हैं।
  • अगर आप प्राकृतिक सुंदरता और रोमांच को एक साथ जीना चाहते हैं, तो वेदा पीक जरूर जाइए। यह मोन जिले की सबसे ऊंची चोटी है, जहां से आप ब्रह्मपुत्र नदी और म्यांमार की पहाड़ियों का अद्भुत दृश्य देख सकते हैं। इसके अलावा, शांग्यु गांव में आपको 500 साल पुराना अंग का घर देखने को मिलेगा, जहां लकड़ी की सुंदर नक्काशियां और विशाल नगाड़े आज भी मौजूद हैं।
  • अगर आप अप्रैल में यहां आते हैं तो आपको “आओलेंग” त्योहार देखने को मिलेगा – यह कोंयाक जनजाति का सबसे रंगीन और जोश से भरा त्योहार है। इस दौरान पारंपरिक कपड़ों में सजे लोग नाचते-गाते हैं, रंग-बिरंगे वस्त्र, सिर पर हॉर्नबिल के पंख और कमर में सजावटी चाकू और घंटियों के साथ उनका उत्सव बेहद रोमांचक होता है। महिलाएं भी अपने पारंपरिक गहनों और सुंदर पोशाकों में इस उत्सव को एक खास गरिमा देती हैं।
  • अगर खाने की बात करें तो यहां के पारंपरिक व्यंजन अपने अनूठे स्वाद के लिए जाने जाते हैं। आप बांस में पकी हुई मछली का स्वाद लें, या स्मोक्ड पोर्क के साथ, हर व्यंजन की अपनी खास महक और स्वाद है। गाल्हो नाम की एक चावल-सब्ज़ी-मांस से बनी खिचड़ी जैसी डिश यहां की खास पहचान है। वहीं मीठे में ब्लैक राइस पुडिंग का स्वाद जरूर लें – एक देसी और पौष्टिक मिठाई।
  • रुकने के लिए मोन टाउन में Helsa Cottage एक सरल लेकिन आत्मीय विकल्प है। अगर आप कुछ और पारंपरिक अनुभव चाहते हैं, तो शियोंग गांव में Konyak Tea Retreat या Longwa के पास स्थित Helsa Resort को चुन सकते हैं, जहां बांस की झोपड़ियों में रहने का अद्भुत अनुभव मिलेगा।
  • यहां आने का सबसे सही समय नवंबर से मार्च का होता है, जब मौसम ठंडा और साफ होता है। लेकिन अगर आप आओलेंग फेस्टिवल का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो अप्रैल में जरूर आइए।
  • मोन पहुंचने के लिए फिलहाल कोई हवाई अड्डा या सीधा रेल संपर्क नहीं है। सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन असम का भोजो है, जहां से सोनारी होते हुए मोन पहुंचा जा सकता है। निकटतम airport जोरहाट है, जो लगभग 161 किलोमीटर दूर है। इसके अलावा डिब्रूगढ़ और दीमापुर से भी by road यहां पहुंचा जा सकता है।
    अगर आप मोन और उसके आसपास के गांवों को अच्छे से एक्सप्लोर करना चाहते हैं, तो कम से कम 4 से 5 दिन का समय जरूर निकालें। हर गांव अपनी अलग कहानी, कला और परंपरा लिए खड़ा है।
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