Hoysaleswara – A Temple, A Living Legacy (June 7, 2025)

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TraveTv.News के इस कड़ी में निम्न्लिखित मुख्य ख़बरे हैं

  • बेंगलुरु से लगभग 210 किलोमीटर दूर, कर्नाटक के हसन जिले में स्थित है हलेबिडु — एक ऐतिहासिक नगर, जहाँ हर पत्थर, हर दीवार और हर नक्काशी खुद एक कथा कहती है। यही वह भूमि है जहाँ गर्व से खड़ा है होयसलेश्वर मंदिर — भारतीय मंदिर वास्तुकला का एक ऐसा चमत्कार, जो कला, विज्ञान और श्रद्धा का अद्भुत संगम है।
  • 12वीं शताब्दी में होयसल वंश के महान राजा विष्णुवर्धन द्वारा बनवाया गया यह मंदिर, भगवान शिव को समर्पित है। लेकिन यह केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि भारतीय स्थापत्य-कला का शिखर है — ऐसा उदाहरण, जो न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में अद्वितीय है।
  • इस मंदिर की सबसे विशेष बात है इसकी नक्काशी और पत्थर का अद्वितीय उपयोग। मंदिर एक ऊँचे मंच पर बना है, और इस मंच पर कुल 12 नक्काशीदार परतें हैं — जिन्हें सीमेंट या चूने से नहीं, बल्कि पत्थरों की इंटरलॉकिंग तकनीक से जोड़ा गया है।
  • यह वास्तुशिल्प तकनीक इतनी मजबूत है कि 900 साल बीत जाने के बाद भी मंदिर मजबूती से खड़ा है।
  • मंदिर के बाहरी हिस्से पर सैकड़ों मूर्तियां तराशी गई हैं — हर मूर्ति एक ही पत्थर से बनाई गई है, जिसमें पौराणिक कथाओं, देवी-देवताओं, नर्तकियों और योद्धाओं के जीवंत दृश्य उकेरे गए हैं।
  • यहाँ आकर कर्नाटक की पारंपरिक थाली जरूर चखें — रागी बॉल्स, बिसी बेले भात, सांभर, होलिगे और कोसंबरी जैसे व्यंजन आपको स्थानीय संस्कृति से जोड़ेंगे। स्थानीय होटलों और होमस्टे में सादा, पर स्वादिष्ट भोजन मिलता है।
  • हलेबिडु में कई बजट होटेल, लॉज और होमस्टे हैं। यदि बेहतर सुविधाओं की चाह हो तो आप पास के हासन में ठहर सकते हैं। hoysala village resort, KSTDC key mayura resorts के अलावा हर तरह के होटल accommodation यहाँ मौजूद हैं।
  • यहाँ पर चेनकेशव मंदिर और यगच्ची डैम भी visit करना चाहिए।
  • होयसलेश्वर मंदिर कोई आम मंदिर नहीं, यह उस युग की पराकाष्ठा है, जब कला धर्म थी और पत्थर बोलते थे।
  • यहाँ आकर लगता है कि हम केवल एक स्मारक नहीं, बल्कि एक जीवित इतिहास को छू रहे हैं
  • जहाँ शिल्प है, शास्त्र है और संस्कार है।
  • तो आइए… इस मंदिर को महसूस करें, इसे सराहें, और गर्व करें उस धरोहर पर जिसे हमारे पूर्वजों ने अपने हाथों से गढ़ा था।