TraveTv.News के इस कड़ी में निम्न्लिखित मुख्य ख़बरे हैं
- केरल का शहर त्रिशूर अपनी जीवंत परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है। हर साल अप्रैल–मई के महीने में यहाँ मनाया जाने वाला त्रिशूर पूरम भारत के सबसे भव्य मंदिर उत्सवों में से एक है। इसे “मदर ऑफ ऑल पूरम्स” भी कहा जाता है। इस अद्भुत आयोजन का केंद्र है श्री वडकुन्नाथन मंदिर, जो भगवान शिव को समर्पित है और त्रिशूर शहर के बीचोंबीच स्थित है।
- इस मेले की शुरुआत होती है सजे-धजे हाथियों की भव्य शोभायात्राओं से। हाथियों पर सोने की झिलमिलाहट लिए हुए अलंकरण और रंग-बिरंगे छतरियाँ लोगों का मन मोह लेती हैं। वहीं, इलंजिथारा मेलम और पंचवाद्यम जैसे पारंपरिक वाद्ययंत्रों की धुनें हजारों लोगों को उत्साह और उल्लास से भर देती हैं। उत्सव का समापन आसमान को रोशन कर देने वाली आतिशबाज़ी से होता है।
- लेकिन त्रिशूर पूरम सिर्फ़ एक उत्सव नहीं है, यह केरल की पूरी संस्कृति का उत्सव है। अगर आप इस मौके पर यहाँ आते हैं, तो आपको आसपास कई और आकर्षण भी देखने को मिलेंगे।
- त्रिशूर शहर को “केरल की सांस्कृतिक राजधानी” कहा जाता है। यहाँ का पुरातत्व संग्रहालय और कला संग्रहालय राज्य की कलाओं और इतिहास की अनमोल झलक दिखाते हैं। वहीं श्रीरामकृष्ण मिशन आश्रम और विलोप्पिल्ली स्मारक जैसे स्थान शांति चाहने वालों के लिए आदर्श हैं।
- त्रिशूर से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर है गुरुवायूर मंदिर, जो भगवान कृष्ण को समर्पित है और दक्षिण भारत के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में गिना जाता है। परिवार और भक्तों के लिए यह जगह पूरम के साथ-साथ एक आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करती है।
- अगर आप प्रकृति प्रेमी हैं, तो पास का पिची डैम और वाझाचल जलप्रपात आपके लिए शानदार विकल्प हैं। यहाँ हरे-भरे जंगल, झरने और बैकवाटर्स आपको केरल की असली सुंदरता का अनुभव कराते हैं।
- अब बात करें ठहरने की। त्रिशूर में हर बजट के लिए होटल और होमस्टे मौजूद हैं। शहर के बीचोंबीच आपको अच्छे होटल्स मिलेंगे, यदि आप लक्ज़री अनुभव चाहते हैं तो त्रिशूर और गुरुवायूर के पास कुछ प्रीमियम रिसॉर्ट्स भी उपलब्ध हैं।
- खानपान की बात करें तो त्रिशूर के व्यंजनों का स्वाद लेना किसी भी यात्रा का खास हिस्सा है। यहाँ की पारंपरिक सद्या थाली, केले के पत्ते पर परोसे जाने वाले व्यंजन, बेहद लोकप्रिय हैं। इसके अलावा पुट्टू-कडला, अप्पम-स्ट्यू, और सीफ़ूड जैसे मीन करी ज़रूर चखें। मिठाइयों में पायसम और अदा प्रदमन आपके स्वाद को मीठा अनुभव देंगे।
- शॉपिंग के शौकीनों के लिए त्रिशूर बेहतरीन जगह है। यहाँ से आप केरल की कसावु साड़ियाँ, हाथ से बने सोने-चांदी के आभूषण, मसाले, और पारंपरिक हस्तशिल्प खरीद सकते हैं।
- आदर्श रूप से 3 से 4 दिन का समय पर्याप्त है। एक दिन आप पूरे उत्सव के लिए रखिए, जबकि बाकी समय आसपास के मंदिरों, झरनों, बैकवाटर्स और शहर की संस्कृति को जानने में बिताइए।
- त्रिशूर तक हवाई मार्ग से पहुँचना सबसे आसान है। कोचीन इंटरनेशनल एयरपोर्ट यहाँ से लगभग 56 किलोमीटर दूर है।
- त्रिशूर पूरम सिर्फ़ एक उत्सव नहीं, बल्कि एक ऐसा अनुभव है जो आपको जीवनभर याद रहेगा। सजाए हुए हाथी, पारंपरिक वाद्ययंत्रों की गूंज, आसमान में चमकते पटाखे और लोगों का जोश… यह सब मिलकर त्रिशूर को भारत के सबसे रंगीन और जीवंत गंतव्यों में बदल देता है।