Unakoti: शांत, रहस्यमयी और खूबसूरत (May 24, 2025)

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TraveTv.News के इस कड़ी में निम्न्लिखित मुख्य ख़बरे हैं

  • अगर आप उन लोगों में से हैं जो यात्रा को सिर्फ घूमना नहीं, बल्कि किसी नई जगह को जानने और महसूस करने का माध्यम मानते हैं, तो त्रिपुरा की रहस्यमयी जगह ‘उनाकोटि’ आपके लिए एक परफेक्ट डेस्टिनेशन हो सकती है। यह destination नॉर्थईस्ट भारत के उन अनदेखे रत्नों में से एक है, जो अभी भी बड़े पैमाने पर पर्यटकों की नजरों से दूर है। अगरतला से करीब 180 किलोमीटर दूर, घने जंगलों और पहाड़ियों के बीच बसी ये जगह रहस्य, कला और अध्यात्म का अद्भुत संगम है।
  • ‘उनाकोटि’ का मतलब है “एक करोड़ से एक कम”। यह नाम इसलिए पड़ा क्योंकि मान्यता है कि यहाँ एक करोड़ से एक कम मूर्तियाँ हैं। इन मूर्तियों को देखकर आप हैरान रह जाएंगे—कुछ चट्टानों को काटकर बनाई गई हैं और कुछ पर उकेरी गई हैं। सबसे भव्य और प्रसिद्ध मूर्ति है ‘उनाकोटेश्वर शिव’ की, जो लगभग 30 फीट ऊँची है और बेहद प्रभावशाली है। लोककथाओं के अनुसार, यह सभी मूर्तियाँ उस समय की हैं जब भगवान शिव एक करोड़ देवी-देवताओं के साथ काशी जा रहे थे और इसी जगह पर रात में रुके थे। जब सभी देवता सूरज उगने से पहले नहीं जागे, तो भगवान शिव ने उन्हें श्राप दे दिया और वे सब पत्थर बन गए।
  • उनाकोटि का अनुभव सिर्फ उसकी मूर्तियों तक सीमित नहीं है। यहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य, हरियाली और शांति आपको भीतर तक छू लेती है। पत्थरों और झाड़ियों के बीच घूमते हुए, हर मोड़ पर एक नई मूर्ति या नया दृश्य सामने आता है जो आपको मंत्रमुग्ध कर देता है। यहाँ ट्रैकिंग का भी आनंद लिया जा सकता है और फोटोग्राफी के शौकीनों के लिए यह जगह किसी स्वर्ग से कम नहीं है।
  • यहाँ पहुँचने के लिए सबसे नजदीकी एयरपोर्ट अगरतला है, जहाँ से आप सड़क मार्ग से कैलाशहर तक आ सकते हैं। कैलाशहर से उनाकोटि सिर्फ 8 किलोमीटर दूर है, जहाँ टैक्सी या लोकल गाड़ियाँ आसानी से मिल जाती हैं। यात्रा के दौरान आपको त्रिपुरा की पारंपरिक झलकियाँ भी देखने को मिलती हैं।
  • खानपान की बात करें तो यहाँ का स्थानीय खाना एक अलग ही अनुभव देता है। ‘Mui Borok’ यहाँ का पारंपरिक भोजन है, जो बांस की टहनी में बनी एक fish dish है। यहाँ के छोटे बाज़ारों में बांस-बेंत से बनी चीज़ें, traditional jewellery यहाँ से खरीद कर ले जाए जा सकते हैं।
  • त्रिपुरा के इस छिपे हुए खजाने की सैर अक्टूबर से मार्च के बीच करना सबसे बेहतर रहता है। यह वह समय होता है जब मौसम सुहावना होता है और आप यहाँ की प्रकृति और संस्कृति को अच्छी तरह महसूस कर सकते हैं। उनाकोटि सिर्फ एक ऐतिहासिक या धार्मिक स्थल नहीं है, यह एक ऐसा अनुभव है जो भारत की अनकही कहानियों में डूबा हुआ है – शांत, रहस्यमयी और बेहद खूबसूरत।